Saturday, June 1, 2019

कहानियों में दर्ज हैं मेरे-तुम्‍हारे अहसास.... (पहला भाग)

कहानियों में दर्ज हैं मेरे-तुम्‍हारे अहसास कुछ इस तरह
पत्‍तों पर बिखरी हो मोतियों सी नम ओस की बूंदें जिस तरह......


सुहाना खिड़की पर लगे पर्दे हटा ही रही थी कि अचानक उसकी नजर बारिश की बूंदों पर पड़ी। जो बाहर गमले में लगे पेड़ों पर साफ मोती सी नजर आ रही थी। कितनी खूबसूरत लगती हैं न ये बारिश की बूंदे, पीछे से उसे रुहान ने आवाज दी। पलटते हुए सुहाना कुछ हड़बड़ाकर बोली हां बिल्‍कुल मोतियों की तरह... उसका कहना था कि रुहान उसे अपनी बाहों में समेट लेने को आगे बढ़ा लेकिन सुहाना न जाने किस धुन में अंदर चली गई।
रुहान सुहाना के पीछे-पीछे किचन में गया और कहने लगा मौसम कितना रोमांटिक है और तुम हो कि किचन में आ गई। चलो न कहीं बाहर चलते हैं आइसक्रीम खाने। तुमने ही तो बताया था कि तुम्‍हें बारिश में भीगना और आइसक्रीम खाना बहुत पसंद है। रुहान अपनी ही मस्‍ती में न जाने क्‍या-क्‍या कहे जा रहा था लेकिन सुहाना ऐसे चुप थी जैसे उसे कुछ भी सुनाई ही नहीं दे रहा हो....

रुहान ने फिर सुहाना के गले में अपनी बांहे डालते हुए कहा चलेंगी मैडम? बारिश में आइसक्रीम का लुत्‍फ उठाने... सुहाना अचानक से ख्‍यालों की दुनियां से बाहर निकली और बोली नहीं,  फिलहाल तो बिल्‍कुल नहीं.. और आपकी तो शाम को कोई मीटिंग थी न, जाना नहीं है क्‍या? शिट मैं तो भूल ही गया था। थैंक्‍स यार यू आर रियली माई स्‍वीटहार्ट... चलो आइसक्रीम न सही एक प्‍याली चाय ही पिला दो। हां बाबा ठीक है, आप रेडी हो जाइए मैं चाय बनाती हूं। अच्‍छा सुनों, अदरक जरूर डाल देना। मैडम इस बारिश में तुम्‍हारे हाथों की चाय वो भी अदरक वाली कसम से मजा आ जाता है। अच्‍छा-अच्‍छा ठीक है अब बटरिंग की इतनी भी जरूरत नहीं,  मैं चाय बना रहीं हूं।

रुहान मीटिंग के लिए निकल चुका था लेकिन सुहाना अभी तक अतीत से बाहर नहीं निकल पा रही थी। 10 साल हो गए थे उसकी और रुहान की शादी को। लेकिन अतीत का वह खाली पड़ा कोना आज तक भर नहीं पाया था। रुहान उससे बेशुमार प्‍यार करता है, लेकिन शायद ये पहली मोहब्‍ब‍त वाली कशिश है, जो भुलाए नहीं भूलती...

चाय का कप लिए सुहाना झूले पर बैठी थी। परत दर परत अतीत के पन्‍ने पलट रही थी। जब पहली बार वह और प्रणित ऑफिस साथ गए थे। हालंकि साथ तो पहले भी कई बार कॉफी पीने के लिए गए थे लेकिन बतौर दोस्‍त। उनके मन में दोस्‍ती का पैमाना कब प्‍यार तक पहुंच गया। इससे वो दोनों ही बेखबर थे। लेकिन इस बार दोनों का मिलना कुछ अलग था। रास्‍ते में बारिश शुरू होने से उनके बीच बहुत कुछ बदला।

प्रणित गाड़ी रोकने को होता तो सुहाना यह कहकर मना कर देती कि बारिश का अपना ही मजा है, धीरे-धीरे ही सही चलो.... लेकिन गाड़ी मत रोकना। प्रणित ने कहा भीग जाएंगी मैडम, सुहाना बोली तो क्‍या हुआ? नमक हैं क्‍या जो गल जाएंगे? दोनों बातें करते हुए आगे बढ़ रहे थे कि तभी अचानक से बारिश तेज हो गई। अब तो दोनों ही कहीं रुकना चाह रहे थे। लेकिन कहां, इसके लिए वह अपनी नजरें दौड़ा ही रहे थे कि सामने एक खाली पड़ा गैराज नजर आया। क्‍या करते दोनों वहीं रुक गए कि बारिश थमे तो वह वापस जाएं क्‍योंकि इतना भीगने के बाद अब दोनों ही ऑफिस तो नहीं ही जा सकते थे...

सुहाना अपने दुपट्टे से बालों को सुखाने की कोशिश कर रही थी जबकि वह पूरी तरह से भीग चुकी थी। दुपट्टा भी बारिश से तरबतर था। वहीं प्रणित अपने रुमाल से अपना चश्‍मा साफ कर रहा था। अचानक दोनों की नजरें एक-दूसरे से मिली। प्रणित और सुहाना बिना कुछ कहे करीब आए और पास पड़े गाड़ी के पहियों पर बैठ गए। कभी वह एक-दूसरे को देखते तो कभी बाहर बारिश को। लेकिन दोनों जो कुछ देर पहले बराबर बातें कर रहे थे अब उनके बीच कोई संवाद नहीं हो रहा था। अगर कुछ था बस गहन चुप्‍पी।

सुहाना ने थोड़ी कोशिश की और बोली यहां आस-पास कोई आइसक्रीम पार्लर होता तो तभी प्रणित बोल उठा अदरक वाली चाय होती तो शायद कुछ ज्‍यादा ही मजा आता, है न... लेकिन फिलहाल तो बस बारिश ही है... इतना कहकर दोनों ही चुप हो गए और एक-दूसरे को देखकर मुस्‍कुराने लगे।

प्रणित और सुहाना की मुस्‍कुराहट दोनों को एक साथ ले आई। यानी अब तक दो जो अलग-अलग पहियों पर बैठे थे वह अब एक ही पहिये पर साथ थे। बिना कुछ कहे प्रणित ने अचानक से सुहाना का हाथ पकड़ लिया। उसने भी शायद मौन स्‍वीकृति दे दी थी। तभी उसके हाथों से अपना हाथ छुड़ाने की रंचमात्र भी कोशिश नहीं की।

बारिश में भीगी सुहाना के हाथ काफी ठंडे थे लेकिन अब प्रणित के हाथों में उसके हाथ गर्माहट लिए हुए थे। बारिश थमने लगी थी लेकिन दोनों के बीच प्रेम का बीच अंकुरित हो गया था शायद। तभी तो प्रणित और सुहाना एक-दूसरे से बिना कुछ कहे एक साथ उठे और गाड़ी की ओर बढ़े। तभी प्रणित ने अपनी चुप्‍पी तोड़ी और पूछा तुम्‍हें बारिश में आइस‍क्रीम खाना पसंद है? सुहाना ने धीरे से कहा हम्‍म....

कुछ दूर जाकर प्रणित ने आइसक्रीम पार्लर के पास गाड़ी रोकी और बिना पूछे वह पाइनऐप्‍पल फ्लेवर की आइसक्रीम ले आया। उसे देखते ही सुहाना ने पहला सवाल यही पूछा आपको कैसे पता मुझे यही फ्लेवर पसंद है। प्रणित ने मुस्‍कुराकर कहा बस यूं ही... कुछ देर बाद दोनों ही अपने-अपने घर के निकल चुके थे। लेकिन आज सुहाना की जिंदगी में कुछ पलों ने मानों सबकुछ बदलकर रख दिया हो।

शाम से रात हो चुकी थी लेकिन उसकी आंखों से नींद गुम थी। वह बार-बार प्रणित का चेहरा और उसके हाथों में अपने हाथ के उस पल को याद करती और फिर मुस्‍कुरा उठती। तभी अचानक डोर बेल की आवाज आई.... सुहाना अतीत से वर्तमान में लौटी, हाथ में चाय का कप वैसे का वैसा ही था। कप साइड में रखकर वह दरवाजे पर पहुंचीं। सामने रुहान था। क्‍या हुआ इतनी देर लगा दी, कब से डोर बेल बजा रहा हूं मैडम जी। कहते हुए रुहान अंदर चला गया।

झूले पर बैठते ही चाय के कप पर नजर पड़ी तो बोला चार घंटे से तुम चाय लिए मेरा इंतजार कर रही थी... क्‍या बात है... सुहाना बोली चार घंटे, हां-हां चार घंटे, क्‍यों आपने घड़ी नहीं देखी मैडम? मैं शाम 6 बजे मीटिंग के लिए निकला था और अब रात के 10 बज चुके हैं... आप अब तक यही चाय लिए बैठी हैं... मेरे ख्‍यालों में आप इतना डूब गईं कि चाय का ख्‍याल ही नहीं रहा...बस इसी को तो प्‍यार कहते हैं मैडम... कहते हुए रुहान जोर से हंस पड़ा और सुहाना मन ही मन खुद से सवाल पूछने लगी कि वो बारिश, वो लम्‍हा, वो बातें, वो आइसक्रीम क्‍या  क्‍या थी, मोहब्‍बत या....

उसका रूठना