Friday, May 25, 2018

ये सच्चा वाला इश्क है!

दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया ,जब चली सर्द हवा मैंने तुझे याद किया । इसका रोना नहीं क्यूं तूने किया दिल बर्बाद , इसका गम है कि बहुत देर बर्बाद किया.....

........गोया वो भी क्या दिन था जब हमारी जिंदगी में शामिल हुए कहते हुए मुस्कुरा रही थी नूरन। यही कोई जनवरी में 28 तारीख के आस-पास। हमारी पहली मुलाकात। कौन जानता था कि हर दम यूं झगड़ने वाले एक-दूसरे से इश्क फरमाएंगे। दूसरों की छोड़ों श्वेताब तुम्हें या हमें भी कहां पता था। फिर लड़ते-झगड़ते कुछ ही महीनों में हमनें खुद को तुम्हारे करीब पाया। लेकिन दिल को यह अहसास कराना जरूरी नहीं समझा। जानते हो क्यूं? क्योंकि हमारा दिमाग कह रहा था ये अहसास एक तरफा हैं। कुछ और वक्त बीता हम धीरे-धीरे करीब आने लगे। लंबा अरसा बीता इस तरह। तुम मुझे मैं तुम्हें जानने लगी, समझना इसलिए नहीं कहूंगी क्यूंकि तुम्हें लगता है कि मैं किसी को समझ ही नहीं सकती। तो फिर तुम माशाअल्लाह हर बात में माहिर ऐसा इसलिए कह रही हूं कि दिखने में तो मस्तमौला अपनी ही रौ में रहने वाले लगते हो, जिसे कभी किसी भी बात की तकलीफ नहीं होती। लेकिन असल में तुम इससे अलहदा हो। आखिरकार तुम भी तो खुदा के ही बनाए हुए बंदे हो। फर्क इतना है कि तुम्हारे दुःख और तकलीफ किसी पर शायद तुम्हारे अपनों पर भी जाहिर नहीं होते। फिर तुमसे कोई दिल दुखाने की उम्मीद भी कैसे कर सकता है। जो हर बात पर मजाक के मूड में रहता हो, कभी किसी बात को सीरियसली लेता ही न हो। यहां तक कि अपनी जिंदगी को भी। जानते हो श्वेताब तुम्हारी यही अदा दिल को भाती थी। पर हमारे लिए जो तुमने किया उससे तो यह अहसास हुआ कि तुम्हें कभी दुःख या तकलीफ नहीं होती। हालांकि यह अच्छा भी है क्यूंकि हम नहीं चाहते कि कभी तुम्हारी आंखें नम हो। तुम्हें तो अंदाजा भी नहीं कि दिल टूटता है तो कितना चुभता है, हंसने-बोलने के लाख जतन करने पर खुद को धोखा देने जैसे लगता है। 
 श्वेताब कब तुमसे प्यार हो गया पता ही नहीं चला। फिर एक दिन तुमने भी इजहार-ए-मोहब्बत कर दी। फिर तो हम तुम्हें अपना खुदा ही मान बैठे थे, लेकिन इसकी खबर तुमको नहीं दी थी। क्यूंकि जानती थी कि तुम सातवें आसमान पर बैठ जाओगे.....जानते हो तुम्हें चाहना मेरी ख्वाहिश है, तुम्हारी इबादत भी चाहत है, लेकिन ये कब कहा मैंने कि खुदा हो मेरे तुम और मैं तुम्हारे ही सजदे में दिन-रात रहती हूं। न जाने कब कैसे तुमको इस बात की खबर हो गई फिर तुम बन गए मेरे खुदा। समझ गए कि मैं तो तुम्हारे ही सजदे में हूं। महसूसने लगे तुम कि इन निगाहों में तो तुम्हारा ही ख्वाब पलता है। तो अचानक से मुझसे मेरे प्रेमिका होने का अधिकार क्यूं छीनने चले आए... जबकि हमनें तो यहां तक कहा कि  
     "जाने वाले मेरी महफिल से बहार लेता जा, हम खिजा से निबाह कर लेंगे। "तब क्या जरूरत थी मुझे ये जताने की कि तुम्हें मुझसे मोहब्बत है। इस तरह मुझे इजहार करके छोड़कर जाने की।
 .........काश! हमनें तब यह कहा होता कि "हमसे ये सोचकर कोई वादा करो ,एक वादे पे उम्रें गुजर जाएंगी। ये है दुनिया यहां कितने अहले वफा बेवफा हो गए देखते-देखते...."
     तुमने तो हमें पूरी तरह से खत्म कर दिया श्वेताब। लेकिन उस दिन मुझे अहसास हुआ कि 
    "मैंने पत्थर से जिनको बनाया सनम,वो खुदा हो गए देखते-देखते। जिन पत्थरों को हमनें अता की थी धड़कनें ,वो बोलने लगे तो बरसने लगे हम पर........."
तुम न सिर्फ हमसे जुदा होने की चाहत जता रहे थे बल्कि बता रहे थे कि किसी और से तुम्हें बेइंतहा मोहब्बत है और उससे निकाह करने जा रहे हो। इसलिए अब हमें ये हक नहीं कि हम तुम्हें पाने की चाहत करें। जानते तो तुम्हारे जाने के बाद हम घंटों खामोश रहे और जेहन में चलता रहा कि "गैर की बात तस्लीम क्या कीजिए अब तो खुद पर हमको भरोसा नहीं ,अपना साया समझते थे जिनको कभी वो जुदा हो गए देखते-देखते।" हम खुद से सवाल करते रहे लोग क्यूं कहते हैं कि इश्क बस एक बार होता है। लेकिन फिर ये भी याद आया कि जो रूह तक रचा बसा हो उसे ही सच्चा इश्क या बेहद शदीद प्रेम कहते हैं। तुम जाओ तुम्हें जाने से किसने रोका लेकिन मेरे जज्बातों पर तुम कैसे अधिकार जमाना चाहते हो। श्वेताब ये सच्चा वाला इश्क है, जो एक बार रूह में बस जाए तो फिर कजा ही दूर कर पाती है इसे वरना तो सही-गलत का पैमाना इसके लिए बना ही नहीं। ये तो बस इश्क इश्क और इश्क है....तो इस तरह मैं तुम्हें इस अधिकार से बर्खाश्त करती हूं कि तुम मुझसे मेरा तुम्हारी प्रेमिका होने का हक ले लो और इस जन्म में तो  हरगिज नहीं क्योंकि मैं रूह समेत तेरे सजदें में हूं मेरे खुदा। 
नगमे दिल से में इस बार शनिवार सुबह दो जून को सुनिए इस कहानी को एफएम रेनबो 102.8आपकी रॉकिंग हार्ट प्रियंका के साथ।। 


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उसका रूठना