Sunday, January 8, 2017
कब लौटोगे.....?
Thursday, January 5, 2017
...तुम्हारी जागीर नहीं
मैं तुम्हारी जागीर नहीं..
तुम्हारी बातें तुम्हारे खत पढ़ने को मजबूर नहीं,
सुनों, मैं तुम्हारी जागीर नहीं।।
तुम रियासतों के मालिक हो तो रक्खो अपनी धरती तमाम,
मुझे मेरी तकलीफों में ही मसर्रत है।।
तुम्हारे दरबार में होंगे हज़ारों कारिन्दे,
मेरा सर अपनों के दर पर झुका ही सही।।
तुम होंगे नवाब ख्यालों के, होगी तुम्हारी ये कायनात,
मेरे तो ख्वाबों की भी मुझपर तासीर नहीं,मैं अकेली ही सही।।
सुनों, मैं तुम्हारी जागीर नहीं।।
तुम जब चाहो तो मैं मुस्कुराऊँ, तुम जब चाहो तो मैं तुम्हारी हो जाऊ,
नहीं ऐसा तो तुम्हारा मुझपर कोई अधिकार नहीं।।
सुनों, मैं तुम्हारी कोई जागीर नहीं।।।
Subscribe to:
Posts (Atom)
-
दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया ,जब चली सर्द हवा मैंने तुझे याद किया । इसका रोना नहीं क्यूं तूने किया दिल बर्बाद , इसका गम है कि बहु...
-
आज न ही कोई विशेष दिन है और न ही कोई खास बात, हुआ कुछ यूं कि हमारी कबर्ड से आज स्लैम बुक मिली वही पुरानी, 12वर्ष पुरानी और उसके पन्नें पल...
-
कोई लड़का किसी लड़की को शादी के लिए देखने आए तो प्यार कैसे परख सकता है? क्या नजरें झुकाकर बात करना, अपने करियर में पति का सपोर्ट चाहने का ख...